नमस्कार दोस्तों Hindi Kahani में आपका स्वागत है। आज हम Moral story in Hindi भाग से एक सीख देने वाली कहानी आपके साथ साझा करने जा रहे हैं जिसे पढ़ कर आपको निश्चित तौर पर कुछ सीखने को मिलेगा।
आज जो कहानी प्रकाशित करने जा रहे हैं इसका नाम है “ईमानदारी का फल” – तो चलिए कहानी को शुरू करते हैं।
Moral Story in Hindi – ईमानदारी का फल
बहुत साल पहले एक गाँव मे एक गरीब आदमी रहता था जिसका नाम रामू था। वो जंगल से लकड़ी काट कर उन्हे बेच कर अपने परिवार का पालन पोषण करता था।
एक दिन वो हमेशा की तरह जंगल लकड़ी काटने जाता है। जंगल मे एक दिन वो नदी के किनारे लकड़ी काट रहा था। लकड़ी काटते काटते अचानक उसका कुल्हाड़ी उसके हाथ से फिसल जाता है और नदी मे जा गिरता है। कुल्हाड़ी के नदी मे गिरने के बाद वो काफी दुखी हो जाता है। वो इतना गरीब था की नई कुल्हाड़ी खरीदना उसके लिए काफी मुस्किल था।
फिर वो नदी मे उतर के कुल्हाड़ी को खोजने का एक जोखिम भरा फैसला लेता है। जोखिम भरा एसिलिए था क्योंकि वो नदी काफी गहरी थी। फिर भी वो नदी मे घुस जाता है। नदी मे काफी खोजने के बाद भी कुल्हाड़ी उसे नहीं मिलती है। फिर वो नदी से बाहर आ के एक पेड़ के नीचे दुखी मन से बैठ जाता है। वो सोचने लगता है की आज अगर मैं लकड़ी नहीं बेचता हूँ तो घर के लिए अनाज कैसे ले जाऊंगा। कुछ देर तक वो हताश हो कर पेड़ के नीचे बैठा रहता है।
अचानक कुछ देर बाद नदी से एक देवी प्रकट होती हैं। जिन्हे देख कर रामू चौंक जाता है क्योंकि उसने इससे पहले कभी भी ऐसे किसी को नदी से निकलते नहीं देखा था। देवी रामू को पूछती हैं की “क्या हुआ तुम इतने उदास क्यूँ हो?” – रामू ने उन्हे उदास होने का कारण बताता है। फिर देवी बोली दुखी मत हो मैं तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढ के दूँगी। यह सुन कर रामू बहुत खुश हो जाता है।
फिर अचानक देवी नदी से एक चांदी का कुल्हाड़ी निकाल के पूछती है, “क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”- रामू बोलता है, नहीं ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। फिर से देवी एक और कुल्हाड़ी जो की सोने की बनी हुई थी, निकाल के पूछती है, “क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”- फिर से रामू बोलत है नहीं ये भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। इस बार देवी रामू की कुल्हाड़ी निकाल कर पूछती है, “क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है?”- रामू अपनी कुल्हाड़ी देख कर खुशी से कहता है की हाँ यही है मेरी कुल्हाड़ी और देवी को धन्यबाद देता है।
ऐसी ईमानदारी देख कर देवी बहुत ज्यादा प्रसन्न होती होती है और बोलती है “मुझे पता था की तुम्हारी कुल्हाड़ी कौन सी थी। मैं तुम्हारा परीक्षा ले रही थी और मेरी पारीक्षा मे तुम सफल हुए हो। तुम्हारी ईमानदारी देख कर मैं बहुत ज्यादा प्रसन्न हुई हूँ और मैं तुम्हें इन तीनों कुल्हाड़ीयों को दे रही हूँ और साथ मे कुछ सोने की मुद्रायें भी दे रही हूँ। इससे तुम्हारी गरीबी मिट जाएगी। रामू ये सुन कर बहुत खुश होता है और देवी का धन्यबाद करता है और बोलता है “मैं अपनी ईमानदारी को पूरी जिंदगी अपने साथ रखूँगा”। यह सुन कर देवी फिर से नदी मे समाँ जाती है।
रामू तीनों कुल्हाड़ीयां और सोने की मुद्रायों को अपने घर ले जाता है। अब रामू पहले जैसा गरीब नहीं रहता है। लेकिन रामू अपनी मेहनत और ईमानदारी दोनों साथ ले के जिंदगी मे आगे बढ़ता है।
दोस्तों ये थी आज की Moral story in Hindi भाग से एक और सीख देने वाली कहानी। आशा करता हूँ की आपको काहानी अच्छी लगी है और आपको कुछ सीखने को मिला है।
Moral of the Story:
इस कहानी से हमे ये सीखने को मिलती है है ईमानदारी से रहने पर हमारी सारी परेशानी एक न एक दिन जरूर खत्म हो जाती है और अगर रामू लालच मे आकर बोलता की ये चांदी और सोने की कुल्हाड़ी मेरी है तो वो देवी की पारीक्षा मे असफल रहता और देवी उसे प्रसन्न हो कर सोने-चांदी की कुल्हाड़ियाँ और सोने की मुद्रायें नहीं देती और रामू गरीब ही रह जाता। तो हमे ये भी सीखने के मिलती है की लालच कभी भी नहीं करनी चाहिए।
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