Akbar Birbal ki Kahani हर शख्स के जीवन का वह बेहतरीन हिस्सा है, जो वह सभी से साझा करना चाहते हैं। बड़े उम्र के लोग अपने बच्चों को यह Hindi Kahani सुनाते हैं तो बच्चे अपने हम उम्र के दोस्तों के साथ यह Hindi Story साझा करते हैं।
इस पूरे लेख में Akbar Birbal ki Kahani है जो कि सैंकड़ो में मौजूद है उसमें से कुछ कहानी यहाँ लिखे गए हैं। इन Hindi Kahani में वह सवाल की मौजूदगी है, जो इंसान के जीवन के पढाव में पूछे जाते हैं, जिसमे इंसान घबराकर लड़ खड़ा जाते हैं। इस कहानी में उन मुसीबतों से जूझने का जवाब भी बेहद आसान भाषा में पेश किया गया है।
अगर आप खुद को उन गिनती में शामिल करते हैं जिन्हें Akbar Birbal ki Kahani पढ़ने में मनोरंजक लगता है या अपने बच्चों के लिए Kids Story in Hindi की खोज कर रहे हैं तो आप बिलकुल सही जगह प्रस्थान कर चुके हैं।
स्वागत है आपका hindidna.com के इस खास संग्रह में। इन कहानियों में बचपना छुपा है, शरारत छुपी हैं, सीख भी शामिल हैं। ज्यादा समय न धूमिल करते हुए इन कहानियों की तरफ बढ़ते हैं।
#1. Moral Story in Hindi:- यही है चोर!
बादशाह अकबर का दरबार लगा हुआ था, सभी प्रसन्न थे क्योंकि इस बार उन्हें राज्य में कोई परेशानी नहीं थे। लेकिन वह हर समस्या के आने से पहले की शांति थी।
दरबार में राज्य के एक मशहूर व्यापारी ने प्रवेश किया वह रोते हुए सीधा बादशाह अकबर के सामने बार बार एक ही लफ्ज बोल रहा था “मैं लूट गया, मेरी जीवन की पूँजी डूब गई।” दरबार में मौजूद हर दरबारी एवं स्वंय बादशाह चिंतित हो गए।
बादशाह अकबर ने उस व्यापारी को शांत होने को कहा। बादशाह अकबर ने जब उस व्यापारी को संक्षेप में अपने चिंतित होने का कारण पूछा तो उस व्यापारी ने बताया कि उसके घर में चोरी हुई है। चोरी में घर में उपस्थित बेहद कीमती सामान वे चोर ले गया है।
व्यापारी ने यह भी कहा कि उसका शक उसके 10 नौकरों पर है। लेकिन इनमें से कौन असल में चोर है वह नहीं जानता। बादशाह अकबर ने उस व्यापारी की परिस्थिति को समझते हुए उसके घर पर बीरबल को साथ भेज दिया और आदेश दिया कि इनकी समस्या का हल जल्द किया जाए।
बीरबल अपने साथ सिपाही भी ले गए ताकि गुत्थी सुलझाने के बाद चोर को पेश किया जा सका। बीरबल ने सबसे पहले तो 10 नौकरों से पूछा कि “तुम में से कौन चोर हैं?” यह क्रिया बीरबल ने सभी नौकरों से अलग अलग स्थान पर बात करते हुए पूछकर पूरी करी। परन्तु इनमें से किसी भी नौकर ने खुद को चोर मानने से साफ शब्दों में मना कर दिया।
चोर को पकड़ने के लिए इस बार बीरबल ने एक युक्ति लगाई। इस युक्ति के तहत बीरबल ने हर नौकर को एक छड़ी सौंपी। यह 10 छड़ी एक ही लंबाई की थी और मोटाई भी एक समान थी। बीरबल ने नौकरों से कहा कि तुम में से जो भी चोर होगा उसकी छड़ी रात में 2 इंच लंबी हो जाएगी।
रात भर बीरबल ने उस व्यापारी व्यक्ति के घर पर ही आराम किया और अगले दिन सुबह के वक्त जब बीरबल ने सभी नौकरों को अपने छड़ी के साथ उपस्थित होने का आदेश दिया तो सभी नौकरों में से एक कि छड़ी बाकी नौकरों से 2 इंच छोटी थी। बीरबल ने उस नौकर को चोर घोषित कर दिया।
जब सिपाहियों ने उस नौकर को पकड़ा तो नौकर ने कबूल कर लिया कि उसी ने चोरी की है। चोर नौकर बीरबल से इच्छा रखते हुए पूछता है कि “लेकिन आपको कैसे पता चला कि मैं ही चोर हूँ?”
बीरबल ने हँसते हुए जवाब दिया “जब मैंने कहा कि जो चोर होगा उसकी छड़ी 2 इंच बड़ी हो जाएगी तो जो चोर नहीं थे तो वह आश्वस्त हो गए कि उनकी छड़ी की लंबाई नहीं बढ़ेगी किंतु तुम्हें अपना चरित्र मालूम था तो तुमने डर के कारण छड़ी की लंबाई 2 इंच छोटी कर दी ताकि लंबाई बढ़े तो भी छड़ी एक समान ही रहे।”
सीख: झूठ एक बार आपको एक बार मुसीबत से बचा सकता है परन्तु अंत में सच्चाई की ही जीत होती है। हमेशा सच्चाई की राह पर चलें। यही एक अच्छे इंसान की पहचान होती है।
#2 Akbar Birbal ki Kahani: बीरबल का खिचड़ी बनाने का अनोखा तरीका
राज्य में काफी ठंड का मौसम था। लोगों की रात ठंड में कंपन के साथ गुजर रही थी। बादशाह अकबर ने इस मौसम में पूरे राज्य में यह घोषणा कर दी जो भी शख्स महल के पास बने हुए तालाब में घुसकर मात्र अपने मुख को पानी के ऊपर रखकर रात भर रहे, तो उसे बादशाह अकबर 100 सवर्ण सिक्के भेंट स्वरूप देंगे।
ठंड से लोग पहले ही कांप रहे थे, ठंड का स्तर इतना था कि 100 मुद्राओं के पुरुस्कार के लिए भी किसी ने अपनी जान को जोखिम में डालना सही नहीं समझा।
परन्तु मजबूरी एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति से कुछ भी करवा सकती है इसमें वे अपनी जान की परवाह नहीं करता और ऐसे जोखिम में कूद जाता है। ऐसे ही एक किसान ने 100 मुद्राओं को पाने के लिए यह चुनौती को पूर्ण करने का फैसला किया।
वह किसान काफी गरीब तमगे का था, उसे अपनी बेटी का विवाह भी करवाना था परन्तु उसके पास पर्याप्त धन मौजूद नही था, इसी मजबूरी में वे अपनी जान को भी दांव पर लगाने को तैयार हो गया। किसान ने शर्त के मुताबिक पूरी रात तालाब में रहे।
अगले दिन जब वह किसान अपना इनाम लेने गया तो उसने बताया “बादशाह!, मैंने आपकी शर्त के अनुसार चुनौती को पूर्ण कर लिया,कृपया मुझे मेरे 100 सवर्ण मुद्राओं से नवाजा जाए।
इससे बादशाह अकबर हैरान होकर पूछते हैं कि “तुमने यह कठिन कार्य को कैसे अंजाम दिया?” “इसमें मुझे महल के एक दीपक ने साथ दिया। मैंने दीपक को देखते हुए यह महसूस किया कि यह बिल्कुल मेरे सामने ही जल रही है। जिसके कारण मुझे ठंड बिल्कुल नहीं लगी।” किसान ने कहा।
बादशाह अकबर ने यह बात सुनते ही किसान को इनाम देने से मना कर दिया जिसका कारण बताते हुए अकबर ने कहा “तुम्हारी सफलता का कारण महल का दीपक है, न कि स्वंय तुम, इसीलिए तुम इस इनाम के हकदार नहीं।”
इससे किसान बेहद आहत हो गया उसके लिए 100 मुद्राओं का इनाम बेहद जरूरी था। वह दुखी होकर महल से निकल गया लेकिन बीरबल को अकबर का यह रवैया पसंद न आया।
बीरबल इसके बाद महल से निकल कर चले गए। कुछ दिनों तक बीरबल वापस राज्य में नहीं पहुंचे। बीरबल की जानकारी पाने के लिए अकबर ने एक दरबारी को भेजा। दरबारी जब बीरबल से मिलने गया तो बीरबल ने कहा मैं खिचड़ी बना रहा हूँ बनने के बाद आता हूँ। किंतु कुछ दिनों तक फिर से बीरबल के राज्य में न पहुंचने पर अकबर ने फिर से दरबारी को भेजा।
इस बार भी बीरबल ने यह कहा कि खिचड़ी पकने के बाद आता हूँ। जब दरबारी ने यह खबर अकबर को बताई तो इस बार अकबर खुद बीरबल के द्वार पहुंच गए और अपने सामने का दृश्य देखकर अचंभित रह गए।
अकबर ने देखा कि बीरबल ने बांस की डंडे लगाए हुए थे और उतने ही ऊंचाई पर खिचड़ी से भरी हुई हांडी टांगी हुई होती, ठीक उससे नीचे आंच जलाई होती लेकिन हांडी की लंबाई इतनी अधिक थी कि आंच की लपटें हांडी को छूने में असमर्थ थे।
इस पर अकबर को बीरबल पर गुस्से आया और कहा इस तरह से यो खिचड़ी को पकने में काफी देर लगेगी। इस पर बीरबल कहते हैं कि “बादशाह! अगर वह किसान महल में लगे दीपक से खुद को गर्माहट का एहसास करा सकता है तो मैं क्यों नही?” अकबर को बीरबल की बात समझ आ गई। उन्हें अब गलती का एहसास हुआ और शीघ्र ही उन्होंने उस किसान को उसका हक दिलाया।
सीख: कभी भी किसी गरीब के हक का नहीं खाना चाहिए।
#3 Hindi Kids Story: वह शेर मोम का है
बादशाह अकबर दुनिया के उन महाराजों में नाम लिखवाते थे जिनके राज करने का ढंग मात्र राज्य में ही नहीं बल्कि उस समय पूरे विश्व भर में प्रचलित हुआ। इसी कारण उनकी मित्रता बाहर देश के राज्यों के राजा से भी थी।
एक दिन राज्य में ईरान के राजा ने एक बड़ा सा पिंजरा भेजा जिसमें एक शेर कैद था। ईरान के राजा ने बादशाह अकबर को चिट्ठी में यह लिखकर भेजा कि “बादशाह!, आपके राज्य में एक शेर भेज रहा हूँ, साथ ही एक चुनौती भी की अगर आपके राज्य में कोई इस शेर को बिना पिंजरा खोले बाहर निकाल लें तो मैं यह मान जाऊंगा की आपके राज्य के लोगों से कोई सामना नहीं कर सकता।”
यह चुनौती को पूरा करने के लिए अकबर ने मंत्रियों को आदेश दिया परन्तु सभी मंत्रियों ने मात्र शेर का रूप देखकर भयभीत हो गए और आदेश का पालन करने से मना कर दिया, लेकिन जब बीरबल की बारी आई तो बीरबल ने एक जलती हुई मशाल ली और शेर के पास चला गया। कुछ ही देर में शेर पिघल गया तब सभी को मालूम हुआ कि वह शेर मोम का है।
बीरबल ने ऐसे करके अकबर के आदेश का पालन तो किया ही साथ ही साथ पूरे विश्व मे बादशाह अकबर और उनके राज्य का स्थान उच्च दर्जे पर स्थापित कर दिया।
सीख: भय व्यक्ति की सोचने की ताकत को कमजोर कर देता है। इसीलिए किसी भी परिस्थिति में डरें न बल्कि उस डर से निकलने का राह खोजें।
#4 Akbar Birbal kahani: चोर की दाढ़ी में तिनका
बादशाह अकबर भरी सभा में बैठे हुए थे तभी अचानक से बीरबल ने अकबर से कहा “महाराज! आज आपके उंगली में पहनी हुई सुंदर सी अंगूठी नहीं दिख रही, पहनकर नहीं आए क्या?” बादशाह अकबर यह सुनकर चिंतित हो गए उन्होंने तुरंत अपनी उंगली पर नजर डाली और जल्द ही पूरी सभा में अफरा तफरी मच गई।
हर जगह यह खबर आग की तरह फैल गई कि राजा की अंगूठी गुम हो गई। सभी को अंगूठी ढूंढने का आदेश दिया गया। इस पर बीरबल कहते हैं “महाराज!, घबराइए नहीं आपकी अंगूठी का चोर इसी सभा में मौजूद है। जिसकी दाढ़ी में तिनका फसा हुआ है न वह ही चोर है।”
यह सुनते ही एक शख्स अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरने लगता है। वे घबरा जाता है इसी का फायदा उठाते हुए बीरबल सैनिकों को आदेश दे देते हैं कि जल्द इस शख्स को जांच किया जाए।
जांच करने के बाद उसी व्यक्ति के पास राजा की अंगूठी प्राप्त होती है।
सीख: चोरी करना संसार में सबसे बड़ा जुर्म है। चोर व्यक्ति अपनी जिंदगी हर वक्त एक डर के साये में जीता है।
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अतः यह उम्मीद है कि आपको Akbar Birbal ki Kahani बेहद मनोरंजक लगी होगी। परन्तु इन कहानियों को मात्र मनोरंजन के दृष्टिकोण से न देखा जाए जब इस कहानी की सीख , शिक्षा को आप तक बेहतर ढंग से पहुँचा पाए तो ही हम इसे अपनी जीत स्वीकृत करेंगे।
धन्यवाद।