Panchtantra ki kahaniyan – सिख देने वाली पंचतंत्र की अनसुनी कहानियाँ!

panchtantra ki kahaniyan

Panchtantra ki kahaniyan हमारे समाज का वह हिस्सा है जिसका सदस्य हर वह शख्स रहा जिनका जन्म साल 2000 से पहले हुआ। इस किताब को आप बच्चों की सीख का ग्रन्थ भी कह सकते हैं।

ऐसा इसीलिए क्योंकि Panchtantra Ki Kahaniyan जीवन के उस सवालों के जवाब बताती है जिसकी जरूरत हर मनुष्य को अपने जीवन में आती है। Panchtantra ki kahaniyan बच्चे एवं बड़े हर वर्ग के लोगों को लुभाती है।

आगर आप भी उसी वर्ग में स्वंय की परिभाषा करते हैं जिन्हें Panchtantra ki kahaniya पढ़ने का शुरू से शौक रहा है और काफी वक्त से इंटरनेट पर “Panchtantra Kahaniyan को खोज रहे हैं। फिर आप फिक्र मत कीजिए आप सही वेबसाइट पर पहुँचे हैं। 

Panchtantra ki kahaniyan पढ़ने का सही आनंद तब ही मिल सकता है अगर आप  इस Hindi Kahaniya का अर्थ बेहतर से समझें और अपने जीवन में सही समय पर इस्तेमाल करें।

स्वागत करते हैं आपका Hindi DNA की इस खूबसूरत दुनिया में।

#1 Panchtantra ki Kahaniyan:- आलस्य से भरपूर ब्राह्मण

प्राचीन वक्त की बात है। एक बहुत ही खूबसूरत से गांव में एक बेहद उल्लास से भरा हुआ ब्राह्मण पूरे परिवार के साथ रहता था। उसके पास ईश्वर का दिया हुआ वह सब उपहार थे जिन्हें पाने के लिए अन्य मात्र कामना ही करते हैं।

उस ब्राह्मण के पास अप्सरा स्वरूप हमसफ़र, फूलों से कोमल बच्चें, स्वंय का खेत, मजबूत आर्थिक स्थिति इतियादी। उसके पास मौजूद जमीन की फसल बेहद उम्दा स्तर की थी। उस भूमि पर किसी भी वक्त वे कोई भी फसल उगा सकता था।

परन्तु सोचने की बात यह है कि यह परिश्रम करेगा कौन? ब्राह्मण की कमजोरी यह थी कि उसके शरीर को आराम फरमाने की आदत हो गई थी। वे स्वयं के बल पर कोई कार्य को संपन्न नहीं करना चाहते थे।

जब भी ब्राह्मण की अर्धांगनी उससे खुद का काम खुद करने को कहती वे अपनी पत्नी को भी मना कर देता। उसकी पत्नी अपने इस परिस्थिति पर बेहद आहत थी।

वह जानती थी कि अगर शरीर को आराम की आदत हो जाती है वह शरीर किसी कार्य के काबिल नहीं रहता। एक बार ब्राह्मण के गृह पर साधु न दस्तक दी। ब्राह्मण ने अतिथि देवो भव का सम्मान करते हुए उस साधु की अच्छे से सेवा करी।

साधु भी इस सेवा से प्रसन्न हो गया एवं ब्राह्मण से कहा “वत्स!, मैं तुम्हारे सेवा भाव से काफी प्रसन्न हूँ, मांगो कुछ वरदान, मैं तुम्हे वह देने को तैयार हूं।” यह सुनकर तो ब्राह्मण के स्वप्न में फूल बिखरने लगे, तेज मनमोहक हवा चलने लगी मानो उसकी ख्वाहिश खुद उसके पास आ गई उससे गले मिलने।

ब्राह्मण ने साधु से कहा “है प्रभु!, आप मुझे वरदान देना ही चाहते हैं तो कृपया कुछ ऐसा दें जिसके होने के कारण मुझे कोई कार्य करने की जरूरत न हो। मैं सिर्फ उससे कहूँ और वे वह काम पूर्ण करदे।”

साधु उसके कहे अनुसार ब्राह्मण को एक जिन्न भेंट किया। यह जिन्न की खासियत यह थी कि इसको हर वक्त कुछ कार्य चाहिए ही था ताकि वे जिन्न हर समय व्यस्त रहे। साधु न भी जिन्न प्रदान करते हुए यह चेतावनी दी थी कि यह भेंट तुम तब ही स्वीकार करना अगर तुम बहुत सारे काम करवाने में सक्षम हो। 

ब्राह्मण मान गया और कहा “प्रभु! मेरे पास बेहद कार्य रहता है जिसके कारण मुझे आराम का अवसर नहीं मिल पाता, आप फिक्र मत करिए, मेरे पास बेहद कार्य हैं।”

ब्राह्मण को जिन्न रूपी उपहार देकर साधु ने गृह से प्रस्थान किया। जिन्न ब्राह्मण से काम मांगता और साथ में यह धमकी भी देता की अगर उसे काम नहीं दिया गया तो वह ब्राह्मण को खाजाएगा।

ब्राह्मण ने पहले तो जिन्न को खेत में पानी डालने का आदेश दिया। जिन्न यह काम बेहद जल्द कर के फिर से ब्राह्मण के पास काम मांगने आ गया। इस पर ब्राह्मण ने कहा “अब तुम आराम करो जैसे ही कोई कार्य स्मरण होता है, तुम्हें बता दिया जाएगा।” 

“नहीं!, मुझे काम चाहिए, वरना मैं तुम्हें खा जाऊंगा” – जिन्न

ब्राह्मण बार बार धमकी के कारण भयभीत हो गया था उसने जैसे तैसे जिन्न से खेत जोतने का कार्य सौंप दिया और सोचा इसमें उसे पूरी रात लग जाएगी। वे आराम भी कर सकेगा।

परन्तु जिस प्रकार सोच तब तक सत्य नहीं होती जब तक आप उसके लिए परिश्रम नहीं करते, ठीक ब्राह्मण की यह सोच भी विफल रही। जिन्न कुछ ही देर में वापस खेत जोतने का काम करने के बाद फिर काम मांगने आ गया। 

इस बार ब्राह्मण काफी भय में था, उसे कुछ नहीं समझ आ रहा था कि वे क्या करें। न ही उसे कोई काम ध्यान में आ रहा था। यह अवस्था देख ब्राह्मण की पत्नी ने उससे दरख्वास्त किया “क्या मैं इस जिन्न को कार्य दे सकती हूँ?”

“अवश्य! दे सकती हो, परन्तु क्या कार्य प्रदान करोगी?”- ब्राह्मण

ब्राह्मण की पत्नी ने जिन्न को आदेश दिया और कहा “बाहर जाकर हमारे कुत्ते मोती की पूंछ को सीधी करो”

“देखा! मैं तुम्हें पहले कहती थी आलस त्याग करें, परन्तु आप ने एक बार भी नहीं सुना, अब प्राणों की रक्षा के लिए कार्य ढूंढने पड़ रहे हैं। ब्राह्मण की पत्नी ब्राह्मण से।

“हाँ, तुम सही कह रही थी, अब से मैं कभी भी आलस नहीं करूंगा,अब अपना कार्य को पूर्ण मैं स्वंय करूंगा। ब्राह्मण ने प्रण लिया।

सीख:- आलस इंसान का सबसे प्रमुख दुश्मन में से एक है। यह इंसान को कामयाबी होने से रोकता है। 

#2 Panchtantra ki kahaniyan: दुश्मन से दूरी भली

एक जंगल में एक वृक्ष की टहनी पर मर्द चिड़ा ने अपना घोंसला बनाया हुआ था। इस घोंसले में वे बेहद आंनद के साथ रहता। चिंतित मुद्रा से काफी दूर वे खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहा था।

एक दिवस चिड़ा अपना घोंसला छोड़ खाने की खोज में निकट के स्थान पर चला गया। इस स्थान पर काफी अच्छी फसल उग रही थी। इधर उसे बेहद अच्छी मात्रा में भोजन की प्राप्ति हुई।

उसका मन उस भोजन को पाकर बेहद उल्लास से भर गया। वह इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि वापस अपने घोंसले में पहुंचने का भी उसे मन न था। 

इधर जंगल में

जंगल में उस चिड़ा का घोंसला बेहद शांत था। यह घोंसला जिस वृक्ष पर स्थित था वह ज्यादा विशाल नहीं था, जिसके कारण उस पेड़ पर खरगोश आसानी से चढ़ गया। खरगोश की नजर जैसे ही उस खाली घोंसले पर पड़ी उसने उधर आराम करने का निर्णय लिया। वह घोंसले का आकार काफी अधिक था, जिसके कारण खरगोश ने यह फैसला लिया। 

आराम करते हुए खरगोश को कुछ ही वक्त गुजर था कि चिड़ा घोंसले के पास पहुँचा। चिड़ा क्रोध अवस्था में खरगोश को उसकी निंद्रा से उठाता है और कहता है “यह घोंसला मेरा है, तुम्हारी हिम्मत कैसी हुई।”

खरगोश ने इसका जवाब बेहद शांत स्वर में दिया। “शांत रहो! इस संसार में कुछ भी किसी का नहीं है। तुम्हारी गलती है तुमने अपना घोंसला खाली छोड़ा इसीलिए मैं इसमें आराम करने आ गया। अब यह घोंसला मेरा हो गया।”

चिड़ा काफी क्रोधित हो गया उसने सुझाव लेने के लिए धार्मिक पंडित बिल्ला के पास जाना उचित समझा। बिल्ला के पास पहुंचने पर दोनों ने अपनी समस्या का हल जानने हेतु पूरी बात संक्षेप में बताई। 

धर्मपण्डित बिल्ला ने कहा तुम दोनों अपना कान मेरे सामने लाओ मैं तुम्हे इसका हल देता हूँ। दोनों यह सुनकर काफी खुश हुए। उन्होंने जैसे ही अपने कान बिल्ला के समीप लाए बिल्ला ने उनपर हमला करके उन दोनों को अपना भोजन बना लिया।

सीख:- हर मनुष्य को अपने दुश्मन और दोस्तों का ज्ञात होना ही चाहिए। अगर कोई भी व्यक्ति दुश्मन के बारे में जानते हुए भी उसके समीप  जाता है तो उसे अपनी पांव पर स्वंय कुल्हाड़ी मारने का प्रयास करता है।

#3 Hindi Kahani: घंटी बिल्ली की

हर जीव को धरती पर जीवन व्यतीत करने के लिए तीन वस्तु की सख्त जरूरत होती है। वह है अन्न, पोशाक एवं गृह। ऐसे ही जीव की गिनती में चूहे भी आते हैं। चूहे जिन्हें गणेश जी की सवारी के रूप में प्रख्यात मिली हैं।

शहर के एक बड़े से मकान में चूहों को फौज ने अपना डेरा डाला हुआ था। इस मकान में सभी चूहें खाने के लिए दौड़ते रहते। उन्हें आसानी से भोजन की प्राप्ति भी हो जाती। पेट भर भर के अब वह मोटे ताजे हो गए।

हर वक्त हंसी खुशी रहते। बड़े आनन्द से जीवन का पहिया आगे की तरफ बढ़ रहा था। तभी उनकी खुशी का पता उनके अबसे बड़ी दुश्मन बिल्ली को पता चल गया। बिल्ली इस मकान में उन चूहों का शिकार करने पहुंच गया।

वह जैसे ही खिड़की से घर के अंदर प्रवेश किया सभी चूहें अपने बिल में प्रवेश करने लगे। इनकी भाग दौड़ से बिल्ली को ज्ञात हुआ कि इस मकान में उसके भोजन का पूर्ण तैयारियां की का चुकी हैं। वह भगवान का शुक्रिया अदा करने लगा।

उसने इसी मकान पर रुकने का निर्णय किया। चूहों का शिकार करने के लिए बिल्ली अंधेरे में चुप जाती और जैसे ही चूहें अपने बिल से बाहर की ओर भोजन खाने के लिए निकलते, परन्तु उन्हें खुद के लिए भोजन मिलने से पहले वे धीरे धीरे बिल्ली का भोजन बन रहे थे। अब चूहों में भय का मंजर हावी होने लगा। चूहों की संख्या हर दिन घट रही है। 

चूहों ने सभा बुलाई जिसमें इस बात की चर्चा हुई कि बिल्ली के आतंक से कैसे बचा जाएं?, सभी चूहों ने अपना ज्ञान पेश किया परन्तु किसी की भी योजना से कोई भी चूहा आश्वस्त नहीं था।

इस पर एक बुजुर्ग चूहें ने कहा कि “यह तो सत्य है कि हम बिल्ली को न भगा सकते हैं और न ही उसे हरा सकते हैं।, हमें ऐसी योजना बनानी पड़ेगी जिससे वह खुद हार मारकर चला जाए। इसके लिए हम एक युक्ति निभा सकते हैं।

अगर हम बिल्ली के गर्दन पर घण्टी टांग दे। जब वह अंधेरे में हमें शिकार करने के लिए हमला करेगा तो घण्टी की ध्वनि से हम सतर्क होकर अपने बिल में पहुंच सकते हैं।”

यह युक्ति सुनकर सभी चूहें खुश हो गए, जश्न बनाने लगे। उन्हें लगने लगा कि हमारी जिंदगी फिर से उल्लास से भरपूर हो जाएगी। 

यह जश्न देख वे बुजुर्ग चूहा फिर से बोला “अरे! तुम्हारी बुद्धि घास चरने गई है क्या? अभी हमने बिल्ली को हराया नहीं है और न ही अपनी युक्ति को अंतिम जामा पहनाया है। पहले यह सोचो कि बिल्ली के गर्दन पर घंटी कौन बांधेगा?” 

यह सुनकर सभी चूहे भौचक्के रह गए। एक दूसरे की शक्ल देखने लगे। तभी अचानक से बिल्ली के हमले की आवाज आई उसका शिकार एक चूहा होर बन गया था।

शिक्षा:- जब तक परिणाम नहीं आता है उससे पहले कभी कोई खुशी नहीं मनानी चाहिए। 

#4 Hindi Story: बैल और शेर

दोस्ती इंसान एवं जीव के जीवन का सबसे बड़ा हिस्सा है। बिना दोस्त के इंसान आधा है। ऐसे ही दोस्ती थी तीन बैलों की। इनकी दोस्ती ऐसी थी कि ये दोस्त्ति उनके पूरे जंगल में एक मिसाल कायम कर रही थी।

तीनों हर वक्त एक साथ रहते। एक ही साथ जंगल मे घास चरने जाते। इनपर एक शेर की नजर पड़ी हुई थी। यह नजर अच्छी नहीं बल्कि बुरी नजर थी। वह शेर इन तीनों बैल को आने गले का निवाला बनाना चाहता था।

शेर कई बार बैलों को अपना शिकार बनाने का प्रयास कर चुका था, परन्तु इन तीनों की दोस्ती और एकता के कारण शेर को हमेशा उल्टे मूहँ जाना पड़ा, विफल होकर। शेर ने ठान रखी थी कि इन तीनो बैलों को ही अपना शिकार बनाएगा।

उसने जंगल में मौजूद बाकी जानवरों से इन तीनों बैलों के बीच अफवाह का माहौल बना दिया। अफवाह यह थी कि इन तीनों बैलों में कोई एक बाकी दोनों के पीठ पर छुरा घोंप रहा है। यह बात से इन तीनों में तनातनी का दौर शुरू हो गया।

तीनों की एक दूसरे से वार्तालाप बंद हो गई। अब तीनों बैल अलग अलग घास चरने जंगल जाते थे। यही कामना शेर कर रहा था। शेर ने मौका पाते ही तीनों बैल को अपने भूख को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया।

सीख: दोस्ती में विश्वास का स्थान बेहद अहम है। अगर किसी गलत अफवाह से आपकी दोस्ती टूट सकती है इसका अर्थ यह निकलता है कि आपकी दोस्ती मजबूती के पैमानों पर खड़ी नहीं होती। 

#5 Panchtantra ki kahaniyan: मूर्ख और चालाक की कहानी

एक जंगल मे एक कौआ रहता था। उसे अपनी आवाज का बहुत घमंड था। उसे हर वक्त यह लगता कि उसकी ध्वनि एक गायक स्वरूप ही है। परन्तु उसकी इसके बिल्कुल विपरीत थी।

इसकी गायकी से सभी जंगलवासियों में परेशानी उतपन्न हो रही थी। एक दिन उस कौए को बेहद भूख लग रही थी जिसके कारण उसे भूख की तलाश में आस पास के जंगल मे जाना आवश्यक समझा।

उसे वहाँ रोटी मिल गई और वह तुरंत अपने उसी पेड़ पर वापस आ गया। इधर एक लोमड़ी उसी पेड़ के बिल्कुल समीप से गुजर रहा था वह लोमड़ी उस वक्त भूख से तिलमिलाई हुई थी। उसे किसी भी तरह भोजन की तलाश थी। जैसे ही लोमड़ी ने कौए के मुख में रोटी का टुकड़ा देखा उसके शैतानी दिमाग में एक चाल ने कदम रखा। 

लोमड़ी :- ” अरे! भैया हमने सुना है जंगल में कोई सुरीली आवाज से सभी को अपनी गायकी से मदहोश किया हुआ है। आप जानते हैं क्या उसको?”

कौआ:- “भैया!, वो सुरीली आवाज वाला गायक मैं ही हूँ।”

यह कहते ही कौए ने अपने गले में रोटी का टुकड़ा लिया।

लोमड़ी:-” अच्छा!, गा कर सुनाओ, तभी मानूंगा।”

अपनी आवाज को सिद्ध करने के लिए कौए ने गाना चालू किया परन्तु वह यह भूल चुका था कि उसके गले में रोटी का टुकड़ा है। उसने जैसे ही गाने के लिए मुँह खोला रोटी का टुकड़ा सीधा लोमड़ी के तरफ जाकर गिरा। रोटी खाते ही लोमड़ी वहाँ से निकल पड़ी। कौआ इस मंजर को मात्र देखता ही रह गया।

सीख:- घमंड व्यक्ति के भीतर न सुनने की भावना को पैदा कर देता है अर्थात उसके भीतर सच्चाई को मान्यता नहीं देता। अपनी झूठी तारीफ सुनकर किसी व्यक्ति को मूर्ख नहीं बनना चाहिए। 

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उम्मीद है आपको यह Panchtantra ki Kahaniyan पढ़कर अपने शिशु जीवन की सैर फिर करी होगी। ऐसे ही Hindi Story को पढ़ने के लिए हमारे साथ संपर्क रखें। 

धन्यवाद।

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