हर कहानी चाहे वह इंसान की हो, भगवान की हो या Bhoot ki Kahani हो यह सब कहानी दोहरे समझ को दर्शाती है। एक समझ वह जिस रूप में व्यक्ति कहानी को समझते हैं तथा दूसरी भेषभूषा में जो कहानी असल में समझाना एवं बतलाना चाहती हो।
ऐसी ही एक Bhoot ki Kahani आपको डराने के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। इसमें डर तो है ही साथ में प्रेम के मायनों को परोसा गया है। यह कहानी है राजेश और सुमित्रा की, उनके प्यार की, उनके मिलन की और एक उनके साथ उनके भीतर पनपते एक प्रेत आत्मा की।
Bhoot ki Kahani – कसौली से जुडी एक डरावनी कहानी
राजेश और सुमित्रा एक ही कॉलेज में एक साथ एक ही क्लास में पढ़ते थे। राजेश अपने पिता की तरह राजनीति में बेहद रुचि रखता था और कॉलेज में छात्र नेता में सबसे प्रबल नाम था। उसके पिता देश के केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में उच्च स्थान रखते थे।
राजेश जितना अधिक नेता में प्रबल था उतना ही वे लड़कियों का दिल जीतने में भी प्रबल रहता था। उसकी छवि पूरे कॉलेज में बेहद उत्तीर्ण पद पर रही। वे पढ़ाई के साथ खेल में भी अव्वल रहा। जब भी किसी भी शख्स को कॉलेज में कोई भी मुसीबत से सामना करना पढ़ता उसका हल मात्र राजेश के पास होता।
राजेश का दिल नेतागिरी के अलावा किसी अन्य पर भी केंद्रित रहा। उस केंद्र का नाम ‘सुमित्रा’ था। सुमित्रा बला की खूबसूरत थी। वे अंग्रेजी डिक्शनरी में ‘ब्यूटीफुल’ शब्द का सबसे प्रमुख व्याख्यान करती थी।
शर्मीले स्वभाव की बोली सी सूरत ओढ़े सुमित्रा प्रेम की एक अलग प्रस्तुति पेश करती थी जो बेहद प्यारी थी। सुमित्रा मन ही मन राजेश को चाहती थी लेकिन वह कह नहीं पाती थी क्योंकि उसे यह डर था कि कहीं राजेश मना न करदें क्योंकि राजेश बेहद अमीर घर से तालुक्कत रखता था तो वहीं सुमित्रा एक सामान्य परिवार की बेटी थी।
एक दिन सुमित्रा कॉलेज से घर की ओर जा रही थी रास्ते में उसे राजेश मिला दोनों की नजरें एक दूसरे को देखने लगी, जैसे कई जन्मों की बात कर रहें हो। फिर कुछ मिनटों के बाद दोनों ने एक दूसरे से नजर हटाई और नीचे की ओर झुकाई। राजेश बाइक पर अलग दिशा निकल रहा था तो वहीं सुमित्रा अलग दिशा।
दोनों एक दूसरे से काफी दूर हो गए थे तभी सुमित्रा को कुछ लोग छेड़ने लगे जो कॉलेज के ही थे। सुमित्रा काफी घबरा गई और वहाँ से तेज रफ्तार में दौड़ने लगी। राजेश को अचानक से सुमित्रा के पास कोई काम याद आ गया वह मुड़ा और अपनी बाइक की तेजी से सुमित्रा की तरफ लेकिन वह अचंभित रह गया जब देखा कि सुमित्रा वहाँ मौजूद नहीं थी।
राजेश को वही लड़के दिखे राजेश को उन्हें देखकर यह आभास हो गया था कि सुमित्रा के साथ कुछ हरकत कर रहें होंगे जरूर। वह वहीं रुका रहा और उन लड़कों से बात करके उन्हें सभी को भेज दिया। कॉलेज के सब लड़के राजेश से डरते थे।
क्योंकि वह किसी के साथ भी अन्याय नहीं सहन कर सकता था। जैसे ही वह गए राजेश ने सुमित्रा को ढूंढने की कोशिश करी लेकिन वह काफी देर तक नहीं मिली। परन्तु जैसे ही वह वापस जा रहा था तभी उसको कुछ रोने की आवाज आने लगी।
यह आवाज एक गली से आ रही थी। राजेश ने उस गली के तरफ मुड़कर देखा तो सुमित्रा को पाया। सुमित्रा काफी भयभीत थी। राजेश ने उसे अपने बाहों में ले लिया और उसे भरोसा दिलाया कि वह उसे कुछ नहीं होने देगा।
समय बीतने लगा और दोनों के प्रेम को अब नए रिश्ते की डोर में बांधने की बातें होने लगी। सुमित्रा और राजेश दोनों का विवाह होना नक्की हुआ। सुमित्रा ने बताया वह अनाथ है उसका कोई नहीं। वह अकेली रहती है घर पर।
इस पर कइयों ने राजेश के घर से आपत्ति दर्ज करी। लेकिन राजेश का सुमित्रा के प्रति प्यार देखकर वह शादी कराने को राजी हो गए। उनकी जोर शोर में शादी संपन्न हुई। दोनों एक दूसरे में बेहद खुश थे।
3 अगस्त
इस तारीख का प्लान बनाकर दोनों अपना हनीमून मनाने हिमाचल प्रदेश के शहर कसौली पहुंचे। कसौली के प्रसिद्ध रेस्टोरेंट ‘कसौली पैराडाइस’ में अपने प्यार भरे क्षण बिताने के लिए वे वहाँ के मैनेजर से एक कमरा लेते हैं। राजेश ने सुमित्रा से कमरा चुनने को कहा।
वह रेस्टोरेंट 5 मंजिला था। सुमित्रा ने सुझाव दिया कि कमरा तीसरे मंजिल पर ही लेंगे। ऐसा उसने इसीलिए कहा था क्योंकि रेस्टोरेंट के तीसरे मंजिल से पहाड़ो का बेहद मनमोहक दृश्य नजर आता था। इसी कारण तीसरी मंजिल के कमरे महंगे भी होते थे और जल्दी फूल भी हो जाते थे।
मैनेजर ने उन्हें 304 नंबर की चाबी दी और वेटर को बुलाया ताकि वह सामान लेकर जा सके। लेकिन सुमित्रा उस मैनेजर से जिद्द करते हुए कहने लगी कि उसे 308 नंबर की चाबी चाहिए। मैनेजर ने उन्हें मना किया और कहा कि वह कमरा अभी रेनोवेशन होना है।
लेकिन सुमित्रा बार बार वही कमरा खुलवाने के लिए बोलती रही। राजेश भी सुमित्रा के प्यार में उसकी जिद्द को पूरी कराने के लिए मैनेजर से गुहार लगाई खुलवाने को। शुरू में तो मैनेजर नहीं माना अंत मे उसे भी मानना पड़ा। क्योंकि राजेश ने ज्यादा धन लाभ देने का वायदा किया था।
दोनों कमरे में एक दूसरे को निहार रहे थे। साथ ही साथ पहाड़ो को भी। जो कसौली की खूबसूरती को बखूबी दर्शा रहे थे। जैसे ही दोनों एक दूसरे के प्यार में डूब रहे थे और सारी हदें पार करने की ओर बढ़ रहे थे। तभी एक अजीब सी आवाज ने दस्तक दी।
राजेश ने पहले कमरे के हर एक कोने में देखा कि कहीं कोई खिड़की खुली न रह गई हो। वह उठा लेकिन खिड़की कोई भी नहीं खुली थी पर फिर भी उसे किसी के चलने की आवाज पूरे कमरे में सुनाई दे रही थी। वह डर के मारे बेड पर मुड़कर देखने लगा लेकिन वह देखकर अचंभित रह गया।
वहाँ सुमित्रा मौजूद नहीं थी। वह डर की सीमा को लांघ चुका था। पूरे कमरे में वह अब सुमित्रा चिल्लाने लगा। कमरे के बाहर जाने की कोशिश करता लेकिन कमरा मानो किसी ने बाहर से बंद कर दिया हो। यह पहली बार था कि राजेश डर के मारे रोने लगा हो।
अचानक से उसे कमरे के बाथरूम से पानी चलने की आवाज आती है। वह दौड़ते हुए बाथरूम के तरफ पहुंचता है। जैसे ही वह उधर पहुंचता है पानी की आवाज बंद हो जाती है। “राजेश! जानू कहाँ ढूंढ रहे हो मुझे?, आओ मेरे पास।” सुमित्रा की आवाज।
राजेश देखता है कि सुमित्रा बालकनी में खड़ी हुई होती है जैसे ही राजेश डर के मारे उससे लिपटने के लिए बढ़ता है, सुमित्रा एक दम से गायब हो जाती है और राजेश पहाड़ से नीचे गिर जाता है। उसकी मौत हो जाती है।
अगले दिन उसकी लाश पहाड़ से बरामद होती है। इंस्पेक्टर रणदीप सिंह को तहकीकात करने की जिम्मेदारी मिलती है। उस लाश के पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक राजेश मौत से पहले उसकी धड़कन काफी तेज चल रही होती है।
इंस्पेक्टर सुमित्रा को ढूंढने की कोशिश करते हैं लेकिन उन्हें सुमित्रा का कहीं नहीं पता चलता। मैनेजर से इंस्पेक्टर सीसीटीवी कैमरे की फुटेज मांगता है परन्तु वह रेकॉर्डिंग देखकर परेशान हो जाता है। सीसीटीवी कैमरे में सुमित्रा की कोई फ़ोटो नहीं दिख रही होती।
इंस्पेक्टर को यह मैनेजर की चाल लगती है। इंस्पेक्टर राजेश के घर पर उसकी मौत की खबर लेकर पहुंचता है। सभी परिवार वाले आहत हो जाते हैं। इसी वक्त राजेश का भाई इंस्पेक्टर से सुमित्रा के बारे में पूछता है। इंस्पेक्टर कहता है कि कमरे में तो हमें कोई नहीं मिला।
सब घर वाले कहते हैं कि राजेश और सुमित्रा का हाल ही में विवाह हुआ था। इंस्पेक्टर ने उन्हें सुमित्रा के परिजनों को फोन करने को कहा। इंस्पेक्टर को फिर पता चला कि सुमित्रा का तो कोई है ही नहीं। वह कॉलेज में भी पता करने गया तो पता चला कि कॉलेज में सुमित्रा नाम की कोई लड़की ने कभी एडमिशन ही नहीं लिया था। वह वाकई में एक भूत थी।
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