अगर आप सबसे बेहतरीन kabir Das Ke Dohe in Hindi मे ढूंढ रहे थे तो आप बिलकुल सही जगह पर आ गए हैं। स्वागत है आपका hindidna.com मे। आज हम Kabir Ke Dohe in Hindi मे आपको मतलब के साथ साझा करने जा रहे हैं। आशा करते हैं आपको कबीर के दोहे पढ़ कर बहुत कुछ सीखने को मिलेगी। तो चलिए शुरू करते हैं।
Kabir Das Ke Dohe In Hindi: मतलब के साथ
मैं जानू हरि दूर है हरि हृदय भरपूर
मानुस ढुढंहै बाहिरा नियरै होकर दूर॥
अर्थ- प्रायः मनुष्य ईश्वर को बहुत दूर मानता है ,परंतु वो तो हृदय में ही विराजमान है , इंसान उसे बाहर ढूँढता फिरता है , इसलिए पास होकर भी वो बहुत दूर लगते है।
मोमे तोमे सरब मे जहं देखु तहं राम
राम बिना छिन ऐक ही, सरै न ऐको काम॥
अर्थ- कबीर कहते है ,मैं खुद में देखु ,या तुझमे देखु मुझे हर किसी में राम दिखाई देते है, एक क्षण ऐसा नही बिताता जो बिना राम के हो ,कोई भी कार्य निष्फल है बिना राम के।
हथियार मे लोह ज्यों लोह मध्य हथियार
कहे कबीर त्यों देखिये, ब्रहम मध्य संसार॥
अर्थ- जिस तरह लोहे में हथियार है उसी पर प्रकार हर हथियार में लोहा, कबीर कहते है कि बिना ब्रहम के संसार नही है। ब्रहम के बीच में ही संसार है।
घट बढ़ कहूॅं ना देखिये प्रेम सकल भरपूर
जानै ही ते निकट है अनजाने तै दूर॥
अर्थ- परमात्मा कही भी अधिक या ज्यादा नही है सब जगह बराबर है । वो तो प्रेम और स्नेह से परिपूर्ण है। जिसने उसे जान लिया ,समझ लिया वो उसके बहुत करीब है और जो न समझ पाया उससे कोसो दूर।
उहवन तो सब ऐक है, परदा रहिया वेश
भरम करम सब दूर कर, सब ही माहि अलेख॥
अर्थ- ईश्वर के दरबार मे सब एक समान है , चाहे आप किसी भी वेशभूषा या पर्दे में रहिये हमें अपने को समस्त भ्रमों को दूर करना चाहिए तब हमें ईश्वर के उपस्थिति की अनुभूति होती है।
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥
अर्थ- किसी भी अच्छे इंसान की जात नही देखनी चाहिए अगर देखना है तो उसका ज्ञान देखिए ये ठीक उसी प्रकार है जैसे,म्यान में पड़े तलवार की कीमत होती है न कि म्यान की ( तलवार के खोल की )
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय॥
अर्थ- धैर्य एक कुंजी की तरह है ,अंतः मन मे धैर्य रखना चाहिए , माली चाहे किसी पौधें को सौ घड़े पानी से सींचे परंतु फल तो उसके ऋतु में ही लगेंगे ।
लूट सके तो लूट ले,राम नाम की लूट।
पाछे फिर पछ्ताओगे,प्राण जाहि जब छूट॥
अर्थ- कबीर दास जी कहते है कि हर तरफ राम नाम की धुन है ,जितना लेना है ले लो क्योंकि एक बार प्राण निकल जाएंगे तो फिर पछताओगे की आखिर राम का नाम क्यो नही लिया ?
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय॥
अर्थ- दुख में तो सभी परमात्मा को याद करते है परंतु सुख की प्राप्ति होने पर सभी ईश्वर को भूल जाते है, अगर सूख में भी परमात्मा को याद किया होता तो दुख होता ही क्यों ??
पतिबरता मैली भली गले कांच की पोत।
सब सखियाँ में यों दिपै ज्यों सूरज की जोत॥
अर्थ- पतिव्रता नारी अगर मैली भी हो तो सुंदर है फिर चाहे उसके गले में कांच की ही माला क्यो न हो, वो अपने सभी सखियों के बीच में सूर्य के तेज की तरह चमकती है।
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय॥
अर्थ- इस संसार को ऐसे लोगो की जरूरत है जो सूप की तरह हो , जरूरत और सार्थक चीज़ों को रखें और निरर्थक चीज़ों को अलग कर दे ।
देह धरे का दंड है सब काहू को होय।
ज्ञानी भुगते ज्ञान से अज्ञानी भुगते रोय॥
अर्थ- कबीर दास जी ने आसान भाषा मे समझाया है कि जब मनुष्य का शरीर धारण किया है तो प्रारब्ध तो होंगे ही अथार्थ सुख-दुख एक ज्ञानी मनुष्य दुख को बड़ी समझदारी से और ज्ञान से भोगता है और इसके विपरीत अज्ञानी रोते हुवे।
मन मैला तन ऊजला बगुला कपटी अंग।
तासों तो कौआ भला तन मन एकही रंग॥
अर्थ- बगुला तन से सफेद होता है परंतु मन मे कपट लिए होता हैं उससे अच्छा तो कौवा है जो तन से काला जरूर होता है, पर किसी को छलता नही।
हाड जले लकड़ी जले जले जलावन हार।
कौतिकहारा भी जले कासों करूं पुकार॥
अर्थ- जब किसी लाश को जलाया जाता है तो उसके साथ लकड़ी भी जलती है, जलाने वाला भी एक दिन जल जाता है देखने वाला भी जल जाता है फिर ये चित की पुकार किससे करे। सभी उसी नियति में बंधे है। सभी का अंत निश्चित है।
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।
अर्थ- प्रयत्न करने वाले को कुछ न कुछ जरूर मिलता है ये ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार एक गोताखोर जब गहरे पानी मे गोता लगाता है पर खाली हाथ नही लौटता। कुछ लोग उम्र भर डूबने के डर से नदी किनारे बैठे रहते है अथार्त मेहनत नही करते और कुछ नही पाते।
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ये थे Kabir Das Ke Dohe In Hindi मे। आशा करता हूँ आपको इनको पढ़ के काफी प्रेरणा मिली होगी। आपको कबीर दास जी के इन दोहे कैसा लगा हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं।